Wednesday, 29 August 2012

अंगड़ाई

 
रात भर की मस्ती याद है,
जाम याद है, साथी याद है,
बंद आँखों से  देखा सपना याद है,
सुबह सुबह का सिरदर्द याद है.
याद नहीं है तो सिर्फ़,
सोने से पहली भरी,
चैन की वो आखरी अंगड़ाई.   
 
टीयूशन में बिताए वो घंटे याद हैं, 
गणित की वो तीन मोटी किताबें याद हैं.  
सारी रात गटकी वो कॉफी याद है,
रिज़ल्ट आने पर बटी मिठाई याद है.  
याद नहीं है तो सिर्फ़,
इम्तिहान ख़त्म होने के बाद भरी,
चैन की वो आखरी अंगड़ाई.
 
मीटिंग में हुई वो बक-बक याद है,
प्रौफिट याद है, लौस याद है.
रात भर बैठ कर बनाई वो स्ट्रेटेजी याद है,
प्रेसेंटेशन के बाद मिली वाह-वाही याद है.
याद नहीं है तो सिर्फ़,
कम्प्यूटर बंद करने के बाद भरी,
चैन की वो आखरी अंगड़ाई.

1 comment: