Monday, 30 July 2012

रणगाथा

 
युद्ध ही आदि है, युद्ध ही अंत है.
युद्ध ही विकास है, युद्ध ही विनाश है.
युद्ध ही तेरा धर्म है योद्धा, युद्ध ही तेरा इम्तिहान है.
रणभूमि की गोद से निकला योद्धा, तू युद्ध से भी विशाल है.
 
शिकन नहीं माथे पर तेरी, उज्जवल तेरा लालिमा सा रक्त है,
भय नहीं अभय है तू, निर्भय, तू कालिमा का भक्त है.
 
बादलों की आढ़ में छिपा तेरा भगवान् भी लाचार है,
भिड़ेंगे योद्धा कुछ ऐसे, हार जीत का ही समाचार है.  
 
जिस प्रेमिका के होठों का है तू प्रेम गीत योद्धा,  
उस प्रेमिका की लाज बचा, रणभूमि की यही गुहार है.
जिस माँ की आँखों की बेचैनी बन तू आया यहाँ,
उस माँ के आशीर्वाद में क़ैद तुझसे जीत की फ़रियाद है.
 
जिस चिन्घारी ने तेरा घर जलाया, तेरे दिल में आज वो आग है.
जिस भस्म को माथे पर रगड़ आया आज, तेरे शत्रु की वो राख है.
 
सैंकड़ो सूर्यों का तेज लिए, अद्धभुत तेरा कपाल है.
सहस्र भुझाओं के बल से बनी, कठोर तेरी ढाल है.
रक्त से सींची हुई तेरी जो तलवार है.
तेरी रूह सी ही चंचल चपल, तेरे बाण हैं, कमान है.
 
युद्ध की ललकार, आरम्भ हुआ हाहाकार, शंख नाद का शोर प्रचंड है.
नत्त्मस्तकों के शीश, हाथ में लिए, योद्धा तुझे अपनी जीत पर घमंड है.
 
टूट पड़ तू ऐसे युद्ध का तू हैवान है,
गर्व कर भुजाओं पर अपनी, इन् हाथों में तलवार है. 
मन तेरा बलवान है, शौर्य महान है,
धरती तेरी दास है, सेवक आसमान है.
 
गरज गरज आज ऐसे, तेरी हुंकार से दिल सहम जाने दे,
बरस बरस आज ऐसे, तेरे कोप में सब बह जाने दे.
 
यह चिंघाड़ते शेर हाथी तेरी जीत का ऐलान हैं.
यह कांपती सी धरती उनकी हार का प्रमाण है.
देश में तेरे खुश बच्चे बूढ़े तेरी जीत का ऐलान हैं.
शत्रु के सीने में लहराता तेरा ध्वज उनकी हार का प्रमाण है.
उनकी हार का प्रमाण है, उनकी हार का प्रमाण है.
 
- Prateek
  

Sunday, 15 July 2012

Dard Toh Hua Hoga...


देखकर तस्वीर उस लड़की की
जिसकी उछाल दी इज्ज़त भरे बाज़ार में
उस लड़की की तस्वीर देखकर
दर्द तो हुआ होगा 
 
देखकर इंटरवीयू उस लड़की का
जिसके मुंह से दो शब्द ना निकल पा रहे थे
उस लड़की के आंसू देखकर
दर्द तो हुआ होगा.
 
सुनकर शब्द उस व्यक्ति के
जिसने लड़की को बचाने की कोशिश में चोट खा ली
उस व्यक्ति की बेबसी सुनकर
दर्द तो हुआ होगा.
 
देखकर खामोशी उन् लोगों की
जो आस पास घेरा बनाए तमाशा देख रहे थे
उन् लोगों की नपुंसकता देखकर
दर्द तो हुआ होगा.
 
सुनकर कठोर शब्द समाज के
जो आज कोस रहे हैं खुद उस लड़की को
उस समाज के दोग्लेपन्न का हिस्सा बन
दर्द तो हुआ होगा.
 
पढ़कर इंटरवीयू  नेता महाशय का
जो दूसरी पार्टी को इसका ज़िम्मेदार मानते हैं
उस नेता के असली रंग देखकर
दर्द तो हुआ होगा.
 
और देखकर शान उन् हैवानों की
जो आज भी खुल्ले आम सड़क पर घूम रहे हैं
उन दरिंदों की हिम्मत देखकर
दर्द तो हुआ होगा.
 
दर्द तो हुआ होगा
मगर दिल बहलाने को और भी तरीके तैयार हैं.
दर्द तो हुआ होगा
मगर हर बड़ा दर्द सहने को, हर कोई लाचार है.
- Prateek

Tuesday, 10 July 2012

Thoda Khatta Sa Thaa


Mazaa chakhaa,
thoda khatta sa thaa.
Zindagi choomi,
thoda jhijhak rahi thee.
Safaltaa go galey lagaaya,
paani ka gubbaaraa sa phat gaya.
Jhoothe vaadon ki mithaas ke beech,
kadvi sharaab, galey se utar na sakee.
Aur maayoosi wahaan kone per khadee,
muskuraati rahi....

- Prateek

Monday, 9 July 2012

I'm Not Meant to be Understood


Nah. I'm not meant to be understood.

I'm meant to be just read. Like a book. Page by page, first word to the last word. Till the words start making any sense. And then to be passed on to some other hands. And some other hands. Till the last page gets stained. Till the jacket refuses to hold my stories together anymore. Till the story becomes a tale told and retold. There. There I'm now. In your kids' bedtime stories. In the screenplay of that mega-hit movie. In the quotes, surrounded by quotes of many unknown, just like me. To be copy pasted. To be twisted. And twisted. And twisted, till the words start making yet another sense.

I'm meant to be heard. Like a tape. Song by song, first note to the last beat. Till the song makes it to the Billboard charts. Till the song finds place in your lover's mind. Till the radio keeps abusing, and abusing, and abusing the soul out of the song. To be forgotten someday. There. There I'm now. In a music store, placed under the classics. In the contests, being hummed, only to be recognised by someone who once heard me. To be played in the nightclubs, when all the hipsters gather around the stereo, smoking, drinking and being merry. To be twisted. And twisted. And twisted till the music inspires another guitar to weep, yet again.

I'm meant to be just watched. Like a circus. Act by act, from a unicycle to the fall of the last trapeze artist. Till the circus is house full. Till the circus remains there for 30 days. Till the circus travels to the last city. Till the last child keeps laughing at the sight of the joker. Till the last tiger dies, dreaming of getting unleashed someday. To be forgotten someday. There. There I'm now. In your favorite movie, where the hero is performing a motorcycle dare, without a double. Only to be revived by a rich goon, who is smuggling the seals, and tigers, and monkeys and girls. Lots of girls. Till the last girl in the village is bought. Till the last elephant kicks the ball, waiting for the promised sugarcane he saw last week for the last time. Till one of the act makes it to the records.

See! There I'm again. To be read. Page by page. Word by word.
And you thought you'll understand me?

-Prateek